Thursday 19 April 2012

welcome to the blog of hindi sahitya

3 comments:

  1. मीडिया जिसे हम चौथा स्तभ मानते हैं - खभर तो होती नहीं - आज का दैनिक भास्कर मुख प्रस्थ - फोटो छापी है सुषमा स्वराज की चप्पल सही करते हुए . दूसरी खभर - खुद के पास स्त्रोत नहीं हैं - चीन के सरकारी अख्भार ग्लोबल Times की खभर चुरा ली . जान भूझ कर चोरी शब्द का प्रयोग किया है . यह वही मीडिया वाले हैं जो हर सुबह मार्टिया जनमानस पर - ताथाकथित बाबा लोगो का कार्यक्रम दिखाते हैं , वोह आज निर्मल बाबा के पीछे पद गए . कोई माप दंड है या नहीं . जनता को ब्रह्मित कर रहे हैं . या TRP rating का चक्कर / षड़यंत्र .

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  2. हम अब प्रगतिवादी होते जा रहे हैं, इसीलिए अपनी विरासत खोते जा रहे हैं
    भाषा के पंगु बन गए हैं हम , गैरों की संस्कृति को अपनाते जा रहे हैं .
    स्वतंर्ता का अर्थ यह तो नहीं था , दिल- दिमाग से गुलाम होते जा रहे हैं
    नारी ने खो दी अपनी गरिमा, पहचान , क्योंकि पुरषों से कन्धा मिलाये जा रहे हैं
    बड़े - बुजुर्गो का सम्मान ही कहाँ जब अपना स्वाभिमान खोते जा रहे हैं
    भोतिक्वादी संस्कृति मैं कुछ पाने की होड़ मैं , हम स्यवं पहचाने की हम कहाँ जा रहे हैं .

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  3. कहते हैं बेटियां पराया धन होती हैं ,
    फिर विदा होकर हमारी आँखे नम क्यों होती हैं ,
    बेटे की चाहत माँ को भी होती हैं ,
    मगर सच तो यह बेटी ही बेटो बेहतर होती हैं
    बेटा धन को उडाता है , बेटी धन का संचय करती है
    बेटा शिक्षा मैं जीरो होता है , बेटी हीरो होती है
    फिर क्यों नहीं उसकी हर चाह पूरी होती है
    क्या सिर्फ नाम के लिए , बेटी -लक्ष्मी, सरस्वती होती है

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